चीन के सीयाग कवितोत्सव के आमन्त्रण पर वहाँ पहुचने की व्यग्रता का सबसे बड़ा कारण या आकर्षण
था सीयंग क्षेत्र जो चीन का सबसे खुबसूरत प्राकृतिक स्थल माना जाता है, ये वह इलाका
है जहाँ पर पहाड़ और नदियों का इतना खुबसूरत मेल है कि चीनी दार्शनिकों और कवियों का
सैंकड़ों सालों से पसन्द दीदा स्थल रहा है। चीन के अधिकतर प्राचीन कवियों का स्थल रहा
है यह।
मुझे दस जून
को त्रिवेन्द्रम से सिंगापुर की फ्लाइट लेकर सुबह बीजिंग की फ्लाइट पकड़नी थी, यानी
रात भर का सफर वह भी पूरव की तरफ, जहाँ वक्त सिकुड़ता है।
जब बीजिंग पहुँची
तो बेताहशा थकी थी, बीजिंग का इतना बड़ा एयर पोर्ट और भाषाई समस्या के चलते मात्र सूचकों
से काम चलाने की मश्शक्कत के साथ एक डर भी था कि लेने आने वाले महोदय कहीं वापिस लौट
ना गये हों। लेकिन बाहर निकलते ही अपने नाम का बोर्ड देख कर चैन मिला। चीन में कई लोग
दो नाम रखते हैं, एक चीनीं नाम, दूसरा अंग्रेजी नाम जो पासपोर्ट के लिये उपयोग में
लाया जाता है। तो हंटर जी ने तुरन्त उल्टे हाश से ि हाथ मिलाया, और मुझे लेकर बाहर
आयें, जहां एक और सदस्य खड़े थे, जो मैक्सिकों से आये थे, और उनका नाम था Enrique
Alberto ( Enrique Alberto Servín Herrera) और स्वयं किसी अन्य कवि को रिसीव करने चल
गये।
एनरिक ने मित्रता
वाली मुस्कान फैंक कर सबसे पहले ही कहना शुरु किया कि मैं भारत का सम्मान करता हूं
क्यों कि यह अध्यात्मिक देश है, मुझे इस शब्द से थोड़ी बहुत कोफ्त होती हैं, अपने देश
में जो होता हैं उससे हम सब रोजाना वाकिफ होते रहते हैं, इसलिये इस जुमले का झुठापन
कौंचता है। मैंने कहा कि ऐसा कुछ प्रभावित होने वाली बात नहीं है, यह उतना ही पुरना
देश हैं जितना आपका और उतना ही क्रूर है जितने कोई अन्य देश हो सकते हैं एनरिक नें
हार नहीं मानी , वे दर्शन की ओर कुछ और बड़े,,,, लेकिन मैं रूखे पन से कहा कि यदि आप
अपने देश में बैठे महायोगियों और स्वामियों का सन्देश सुन कर कुछ कह रहे है तो कोई
खास बात नहीं है, वर्ना प्रत्येक देश का इतिहास रोचक होता है।
·
मैं दाद दूंगी एनरिक को, कि उन्होंने हार नहीं मानी,
वे कुछ ना कुछ बोलनेकी कोशिश में लगे रहे। हम दोनों को साथ ही होटल जाना था, और भाषा
की जानकारी के अभाव में होटल में यह निश्चित किया गया गया कि डिनर पर मिलते है।
जब हम डिनर
के लिये आये तब मुझे महसूस होने लगा कि एनरिक मात्र जुमले नहीं फैंक रहे, बल्कि वे
खाफी कुछ जानकारी रखते हैं, उन्होंने विद्यापति का उल्लेख किया, फिर कथाकलि, , भारतनाट्यम
और कत्थक के बारे में बात की। यहीं नहीं वे भारत के राष्ट्रगीत की कुछ पंक्तियाँ भी
गा सकते थे।
निसन्देह अब
मैंने भी उनकी चर्चा में भाग लेना शुरु किया। तब आश्चर्य हुआ कि वे बाल सुलभ उत्सुकता
से सब कुछ जानने की कोशिश करे हैं।
यह तो मुझे
बहुत बाद में मालूम हुआ कि एनरिक करीब २० भाषाओं को कुछ हद तक बोल सकते थे, यहाँ तक
कि चीनी भाषा को भी।
साथ में उनकी
कला के क्षेत्र में अच्छी पकड़ थी। बाद में मैंने एनरिक को चीनी ओपरा के गीत गाते सुना।
दूसरे दिन हमे
सीयंग क्षेत्र के लिये हवाई जहाज पकड़ना था, लेकिन ज्ञात हुआ कि वह हवाई जहाज ही रद्द
हो गया। लेकिन इस वक्त और कवि भी मिल गये थे, जैसे तर्क से ओनार, डेनमार्ग से सिन्डी,
और अमेरिकन डेनिस मुह, धीरे धीरे और लोग भी
हमसे जुड़ गये। अब तो हमारे लिये संवाद के नये आयाम मिल गये। हमे जानकारीमिली
कि हम आधे रास्ते हवाई जहाज से जायेंगे और बाकी आध रास्ता गाड़ी से पार करेंगे। अच्छा ही था , क्यंो
गाड़ी से शहर और गाँवो को करीब से देखने का मौका मिला जता है।
हवाई मार्ग
तो जैसा होता है, वैसा ही होता है, लेकिन यह जरूर मालूम हुआ कि चीन में चैकिंग की प्रणाली
ज्यादा चुस्त है, बैग मे रखी चिल्लर तक को अलग थेले में रखना पड़ता है।
जब हम छोटी
वैन में बैठे तो मुझे पता चला कि मेरा चश्मा बैग में नहीं है, मैं घबरा गई,,, एक तो
चश्मा महंगा भी था, दूसरे बिना चश्मे के मेरे लिये पढ़ना लिखना संभव ही नहीं था। जब
मैंने अपने होस्ट हन्टर महोद से कहा कि मेरा चश्मा हवाई जहाज में रह गया है तो उन्होंने
बेफिक्री से कहा, चश्मा सस्ती चीज है, खरीद लेना। लेकन मेरा मुड खराब हो गया था। उस
वक्त तक एक खुबसूरत सी लड़की गाइड के रूप में हम से जुड़ चुकी थी़ जो थोड़ी बहुत अंग्रेजी
और अच्छी स्पेनिश बोल लेती थी। डेनिस ने कहा कि ये लड़की स्मारद्ट लग रही है, अभी तक
हवाई जहाज में मिली चीजें हवाई अड्डे को सोंप दी गई होंगी तो इस लड़की को कहो। मेंने
जब उस लड़की को अपनी समस्या बताई तो उसने तुरन्त हबाई अड्डे में बात की, पता चला है
कि उन्हे कोई चश्मा मिला है, लेकिन उन्होंने चश्मे के केस का रंग पूछा, और जब मैंने
बताया की चटख पीला, तो थोड़ी देर में चश्में की फोटो मोबाइल पर आ गई। बस यह निश्चित
था कि कवियों की अगली खेप चश्में को अपने साथ ले आयेगी।
सच कहो तो मुझे
इतनी खुशी हुई कि कह नहीं सकती...
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