सबसे पहले नाम
बताऊं, या पहले उसका हुलिया? वह मेरे बराबर की सीट में बैठी थी, हालांकि अलग पंक्ति
में थी, म्यूनिख में देखी गई उस उम्र की लड़कियों से कहीं अलग, फैशन से कहीं दूर, साधारण
सा ट्रेक पेन्ट, और एक साधारण सी टी शर्ट। सादा सा चेहरा , बिखरे से बाल, लेकिन गहरी
नीली आँखें, खासा जर्मन व्यक्तित्व। मेरी निगाह बीच बीच में उस पर जाती थी, मैंने देखा
कि उसने एक बार भी मोबाइल नहीं पकड़ा, ना ही लेपटाप निकाला, स्क्रीन को खोला जरूर, लेकिन
बस कार्टून लगा कर छोड़ दिया, बीच में उसने नन्ही सी डायरी निकाली जिस में कुछ पन्नों
मे कुछ लिखा हुआ था, दूर से मुझे कविता का भी भ्रम हुआ। फिर कुछ ऐसा हुआ कि मेरा जमाटर जूस गिर गया, तो
वह नेपकिन लेकर जमीन पौँचने लगी, मैंने उसकी
तरफ मुस्कुरा कर देखा, फिर बातचीत का सिलसिला शुरु किया़ । मैंने पूछा कि क्या वह कविता
लिखती है, उसने कहा, नहीं कविता तो नहीं, लेकिन डायरी जरूर लिखती हूँ, और ब्लाग भी,
मेरी दोस्त मेरा लिखा पढ़ती है। फिर वह बताने लगी कि अभी उसने स्कूल पूरी की है, यूरोप
में स्कूल लगभग भारतीय बी ए जितना होता है़। लेकिन आगे क्या करना है यह सोचने के लिए
वह वक्त चाहती थी, तो वह विश्व भ्रमण के लिए निकली है।
अट्ठारह साल
की लड़की अकेली विश्व भ्रमण के लिए निकली है, यह बात मेरे लिए नई तो नहीं, क्यों कि
मैं पहले भी कुछ लड़कियों से मिल चुकी हूँ, लेकि आश्चर्य यह था कि वह अपने साथ पैसा
भी नहीं लिए हुए है, उसका प्लान है कि वह जहाँ जाएगी, वहाँ पेट भरने और रात को सोने
की जगह पाने भर को कुछ ना कुछ काम करेगी, एक
साल घूमने के बाद वह यह निश्चित करेगी कि वह आगे क्या करना चाहेगी।
उसके भ्रमण
की सीमा में, श्री लंका, आस्ट्रेलिया, न्यूजिलेण्ड, ब्राजील, पेरु, पनामा, कनाडा और
आइसलैण्ड होते हुए एक साल में अपने देश लौटेगी।
मैंने पूछा
कि उसकी माँ की क्या प्रतिक्रिया थी, तो कहने लगी कि पिता तो खुश थे कि मैं कठिन निर्णय
ले रही हूँ, लेकिन माँ जरा चिंन्तित थीं, लेकिन उन्होंने यहीं कहा कि ध्यान से रहना
मैंने कहा कि
जूलिया, मै भी बस एक सलाह दूंगी कि ध्यान से रहना, लेकिन तुम भारत आये बिना विश्व भ्रमण
करोंगी, अच्छा नहीं लग रहा है, तो कहने लगी कि भारत बहुत बड़ा जो है,
मुझे भारत ना
आने का कारण मालूम ही था, क्यों कि जर्मनी में मुझ से अनेक बार पूछा गया था कि भारत
में इतने रेप क्यों होते हैं, और मुझे उन्हें समझाने में वक्त लगता कि रेप भारति की
संस्कृति नहीं, वैश्विक संस्कृति का ही एक भाग है, और उसके पीछे अनेक तरह की मानसिकताएं
काम करती हैं, लेकिन रेप की घटनाए ज्यादा होते हुए भी स्थिति ऐसी नहीं कि आप भारत में रह ही नहीं सकते।
खैर हम बात
जूलिया की कर रहे हैं, ना जाने कितनी लड़कियाँ हमारे घरों से भि निकलना चाहती हैं, लेकिन
कहाँ निकल पाती, विश्व भ्रमण का सपना तो किशोर युवकों का भी पूरा हो पाता है,
मैं वह यह चाह
रही हूँ कि जूलिया की यात्रा सफल हो, और वह एक सही रास्ते में कदम रख सके
आमीन।
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